हिन्दी भाषा पवित्र बाइबल: पुस्तक सूचकांक

« दरअसल ऐसे और भी बहुत-से काम हैं जो यीशु ने किए थे। अगर उन सारे कामों के बारे में एक-एक बात लिखी जाती, तो मैं समझता हूँ कि जो खर्रे लिखे जाते वे पूरी दुनिया में भी नहीं समाते » (जॉन २१:२५)
यीशु मसीह और जॉन के सुसमाचार में लिखा गया पहला चमत्कार, वह पानी को शराब में बदल देता है: « फिर तीसरे दिन गलील में काना नाम की जगह एक शादी की दावत थी और यीशु की माँ भी वहाँ थी। यीशु और उसके चेलों को भी शादी में बुलाया गया था। जब वहाँ दाख-मदिरा कम पड़ गयी, तो यीशु की माँ ने उससे कहा, “उनकी दाख-मदिरा खत्म हो गयी है।” मगर यीशु ने उससे कहा, “हम क्यों इसकी चिंता करें? मेरा वक्त अब तक नहीं आया है।” उसकी माँ ने सेवा करनेवालों से कहा, “वह तुमसे जो कहे, वही करना।” वहाँ पत्थर के छ: मटके रखे थे, जैसा यहूदियों के शुद्ध करने के नियमों के मुताबिक ज़रूरी था। हर मटके में ४४ से ६६ लीटर पानी समा सकता था। यीशु ने उनसे कहा, “मटकों को पानी से भर दो।” तब उन्होंने मटके मुँह तक लबालब भर दिए। फिर उसने कहा, “अब इसमें से थोड़ा लेकर दावत की देखरेख करनेवाले के पास ले जाओ।” तब वे ले गए। दावत की देखरेख करनेवाले ने वह पानी चखा जो अब दाख-मदिरा में बदल चुका था। मगर वह नहीं जानता था कि यह मदिरा कहाँ से आयी (जबकि सेवा करनेवाले जानते थे जिन्होंने मटके से पानी निकाला था)। तब उसने दूल्हे को बुलाया और उससे कहा, “हर कोई बढ़िया दाख-मदिरा पहले निकालता है और जब लोग पीकर धुत्त हो जाते हैं, तो हलकी दाख-मदिरा देता है। मगर तूने अब तक इस बेहतरीन दाख-मदिरा को अलग रखा हुआ है।” इस तरह यीशु ने गलील के काना में पहला चमत्कार किया और अपनी शक्ति दिखायी और उसके चेलों ने उस पर विश्वास किया » (यूहन्ना २:१-११)।
यीशु मसीह राजा के एक सेवक के पुत्र को चंगा करता है: « फिर यीशु गलील के काना में आया, जहाँ उसने पानी को दाख-मदिरा में बदला था। कफरनहूम में राजा का एक अधिकारी था, जिसका बेटा बीमार था। जब इस आदमी ने सुना कि यीशु यहूदिया से गलील आ गया है, तो वह उसके पास गया और उससे बिनती करने लगा कि वह आए और उसके बेटे को ठीक करे क्योंकि उसका बेटा मरनेवाला था। लेकिन यीशु ने उससे कहा, “जब तक तुम लोग चिन्ह और चमत्कार न देख लो, तुम हरगिज़ यकीन नहीं करोगे।” राजा के अधिकारी ने उससे कहा, “प्रभु, इससे पहले कि मेरा बच्चा मर जाए, मेरे साथ चल।” यीशु ने उससे कहा, “जा, तेरा बेटा ज़िंदा है।” उस आदमी ने यीशु की बात पर यकीन किया और अपने रास्ते चल दिया। जब वह रास्ते में ही था, तो उसके दास उससे मिले और उन्होंने कहा कि उसका लड़का ठीक हो गया है। उसने उनसे पूछा कि लड़का किस वक्त ठीक हुआ था। उन्होंने कहा, “कल सातवें घंटे में उसका बुखार उतर गया।” तब पिता जान गया कि यह वही घड़ी थी जब यीशु ने उससे कहा था, “तेरा बेटा ज़िंदा है।” और उसने और उसके पूरे घराने ने यीशु पर यकीन किया। यह यीशु का दूसरा चमत्कार था जो उसने यहूदिया से गलील आने पर किया था » (यूहन्ना ४:४६-५४)।
यीशु मसीह कफरनहूम में एक दुष्टात्मा से ग्रस्त व्यक्ति को चंगा करता है: « यीशु वहाँ से कफरनहूम गया जो गलील का एक शहर था। वह सब्त के दिन लोगों को सिखा रहा था। वे उसके सिखाने का तरीका देखकर दंग रह गए क्योंकि वह पूरे अधिकार के साथ बोलता था। उस सभा-घर में एक आदमी था, जिसमें एक दुष्ट स्वर्गदूत समाया था और वह ज़ोर से चिल्लाने लगा, “ओ यीशु नासरी, हमें तुझसे क्या लेना-देना? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं जानता हूँ तू असल में कौन है, तू परमेश्वर का पवित्र जन है।” मगर यीशु ने उसे फटकारा, “चुप हो जा और उसमें से बाहर निकल जा।” तब उस दुष्ट स्वर्गदूत ने उस आदमी को लोगों के बीच पटक दिया और उसे बिना कोई नुकसान पहुँचाए उसमें से निकल गया। यह देखकर सब हैरान रह गए और एक-दूसरे से कहने लगे, “देखो! यह कितने अधिकार के साथ बात करता है, इसके पास कितनी शक्ति है! इसके हुक्म पर तो दुष्ट स्वर्गदूत भी निकल जाते हैं।” इसलिए आस-पास के इलाके में हर तरफ उसकी खबर फैल गयी » (लूका ४:३१-३७)।
जीसस क्राइस्ट ने राक्षसों को गडरेन्स की भूमि (अब जॉर्डन, जॉर्डन के पूर्वी भाग, तिबरियास झील के पास) में बाहर निकाल दिया: « इसके बाद, यीशु उस पार गदरेनियों के इलाके में पहुँचा। वहाँ दो आदमी थे जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे। वे कब्रों के बीच से निकलकर यीशु के पास आए। वे इतने खूँखार थे कि कोई भी उस रास्ते से गुज़रने की हिम्मत नहीं करता था। और देखो! वे चिल्लाकर कहने लगे, “हे परमेश्वर के बेटे, हमारा तुझसे क्या लेना-देना? क्या तू तय किए गए वक्त से पहले हमें तड़पाने आया है?” उनसे काफी दूरी पर सूअरों का एक बड़ा झुंड चर रहा था। इसलिए दुष्ट स्वर्गदूत यीशु से बिनती करने लगे, “अगर तू हमें निकाल रहा है, तो हमें सूअरों के उस झुंड में भेज दे।” तब यीशु ने उनसे कहा, “जाओ!” और वे उन आदमियों में से बाहर निकल गए और सूअरों में समा गए। और देखो! सूअरों का पूरा झुंड बड़ी तेज़ी से दौड़ा और पहाड़ की कगार से नीचे झील में जा गिरा और सारे सूअर मर गए। मगर उन्हें चरानेवाले वहाँ से भाग गए और उन्होंने शहर में जाकर सारा किस्सा कह सुनाया और उन आदमियों के बारे में भी बताया, जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे। तब देखो! सारा शहर निकलकर यीशु को देखने आया। जब उन्होंने उसे देखा, तो उससे बार-बार कहने लगे कि वह उनके इलाके से चला जाए » (मत्ती ८:२८-३४)।
यीशु मसीह प्रेरित पतरस की सास को चंगा करता है: « यीशु पतरस के घर आया और देखा कि पतरस की सास बीमार है और बुखार में पड़ी है। तब यीशु ने उसका हाथ छुआ और उसका बुखार उतर गया। वह उठी और उसकी सेवा करने लगी” (मत्ती ८:१४,१५)।
यीशु मसीह एक ऐसे व्यक्ति को चंगा करता है जिसका हाथ लकवाग्रस्त है: « एक और सब्त के दिन यीशु सभा-घर में गया और सिखाने लगा। वहाँ एक आदमी था जिसका दायाँ हाथ सूखा हुआ था। शास्त्री और फरीसी यीशु पर नज़र जमाए हुए थे कि देखें, वह सब्त के दिन बीमारों को ठीक करता है या नहीं ताकि किसी तरह उस पर इलज़ाम लगा सकें। पर यीशु जानता था कि वे अपने मन में क्या सोच रहे हैं, इसलिए उसने सूखे हाथवाले आदमी से कहा, “उठकर यहाँ आ और बीच में खड़ा हो जा।” तब वह आदमी उठा और जाकर बीच में खड़ा हो गया। फिर यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम लोगों से पूछता हूँ, परमेश्वर के कानून के हिसाब से सब्त के दिन क्या करना सही है, किसी का भला करना या बुरा करना? किसी की जान बचाना या किसी की जान लेना?” फिर यीशु ने चारों तरफ सब पर नज़र डाली और उस आदमी से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने ऐसा ही किया और उसका हाथ ठीक हो गया। मगर शास्त्री और फरीसी गुस्से से पागल हो गए और एक-दूसरे से सलाह करने लगे कि उन्हें यीशु के साथ क्या करना चाहिए » (लूका ६:६-११)।
जीसस क्राइस्ट ड्रॉप्सी (शोफ, शरीर में तरल पदार्थ का अत्यधिक संचय) से पीड़ित एक व्यक्ति को ठीक करता है: « एक और मौके पर यीशु सब्त के दिन फरीसियों के एक सरदार के घर खाने पर गया और वे उस पर नज़रें जमाए हुए थे। वहाँ उसके सामने एक आदमी था जो जलोदर का रोगी था। तब यीशु ने कानून के जानकारों और फरीसियों से पूछा, “क्या सब्त के दिन बीमारों को ठीक करना सही है?” मगर वे खामोश रहे। तब यीशु ने उस आदमी को छूकर ठीक कर दिया और भेज दिया। फिर यीशु ने उनसे कहा, “अगर तुममें से किसी का बेटा या बैल सब्त के दिन कुएँ में गिर जाए, तो कौन है जो उसे फौरन खींचकर बाहर नहीं निकालेगा?” वे इस सवाल का जवाब नहीं दे सके » (लूका १४:१-६)।
यीशु मसीह एक अंधे व्यक्ति को चंगा करता है: « जब वह यरीहो पहुँचनेवाला था, तो सड़क के किनारे एक अंधा बैठकर भीख माँग रहा था। जब उस अंधे ने वहाँ से गुज़रती भीड़ का शोर सुना, तो पूछने लगा कि यह क्या हो रहा है। लोगों ने उसे बताया, “यीशु नासरी यहाँ से जा रहा है!” यह सुनकर उसने ज़ोर से पुकारा, “हे यीशु, दाविद के वंशज, मुझ पर दया कर!” जो आगे-आगे जा रहे थे वे उसे डाँटने लगे कि चुप हो जा! मगर वह और ज़ोर से चिल्लाता रहा, “हे दाविद के वंशज, मुझ पर दया कर!” तब यीशु रुक गया और उसने हुक्म दिया कि उस आदमी को उसके पास लाया जाए। जब वह आया तो यीशु ने पूछा, “तू क्या चाहता है, मैं तेरे लिए क्या करूँ?” उसने कहा, “प्रभु, मेरी आँखों की रौशनी लौट आए।” इसलिए यीशु ने उससे कहा, “तेरी आँखें ठीक हो जाएँ। तेरे विश्वास ने तुझे ठीक किया है।” उसी पल उसकी आँखों की रौशनी लौट आयी और वह परमेश्वर की महिमा करता हुआ उसके पीछे चल दिया। देखनेवाले सब लोगों ने भी परमेश्वर की तारीफ की » (लूका १८:३५-४३)।
यीशु मसीह दो अंधे लोगों को चंगा करता है: « जब यीशु वहाँ से आगे जा रहा था, तो दो अंधे आदमी उसके पीछे-पीछे यह पुकारते हुए आने लगे, “हे दाविद के वंशज, हम पर दया कर।” जब वह घर के अंदर गया, तो वे अंधे आदमी उसके पास आए। तब यीशु ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने जवाब दिया, “हाँ, प्रभु।” तब उसने उनकी आँखों को छूकर कहा, “जैसा तुमने विश्वास किया है, तुम्हारे लिए वैसा ही हो।” और वे अपनी आँखों से देखने लगे। फिर यीशु ने उन्हें चेतावनी दी, “देखो, इस बारे में किसी को मत बताना।” मगर बाहर जाने के बाद उन्होंने पूरे इलाके में उसके बारे में बता दिया » (मत्ती ९:२७-३१)।
यीशु मसीह एक मूक बधिर को चंगा करता है: “जब यीशु सोर के इलाके से निकला, तो वह सीदोन और दिकापुलिस* के इलाके से होता हुआ वापस गलील झील पहुँचा। यहाँ लोग उसके पास एक बहरे आदमी को लाए जो ठीक से बोल भी नहीं पाता था। उन्होंने यीशु से बिनती की कि वह अपना हाथ उस पर रखे। यीशु उस आदमी को भीड़ से दूर अलग ले गया और उसके कानों में अपनी उँगलियाँ डालीं और थूकने के बाद उसकी जीभ को छुआ। फिर उसने आकाश की तरफ देखा और गहरी आह भरकर उससे कहा, “एफ्फतह,” जिसका मतलब है “खुल जा।” तब उस आदमी की सुनने की शक्ति लौट आयी और उसकी ज़बान खुल गयी और वह साफ-साफ बोलने लगा। फिर यीशु ने उन्हें सख्ती से कहा कि यह सब किसी को न बताएँ। मगर जितना वह मना करता, उतना ही वे उसकी खबर फैलाते गए। वाकई, लोग हैरान थे और कह रहे थे, “उसने कमाल कर दिया! वह तो बहरों और गूँगों को भी ठीक कर देता है।”” (मरकुस ७:३१-३७)।
यीशु मसीह एक कोढ़ी को चंगा करता है: « फिर उसके पास एक कोढ़ी भी आया और उसके सामने घुटने टेककर गिड़गिड़ाने लगा, “बस अगर तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” उसे देखकर यीशु तड़प उठा और अपना हाथ बढ़ाकर उसे छुआ और कहा, “हाँ, मैं चाहता हूँ। शुद्ध हो जा।” उसी पल उसका कोढ़ गायब हो गया और वह शुद्ध हो गया » (मार्क १:४०-४२)।
दस कोढ़ियों का उपचार: « यीशु यरूशलेम जाते वक्त सामरिया और गलील के बीच से होते हुए गया। जब वह एक गाँव में जा रहा था, तो दस कोढ़ियों ने उसे देखा मगर वे दूर खड़े रहे। उन्होंने ज़ोर से पुकारा, “हे गुरु यीशु, हम पर दया कर!” उन्हें देखकर यीशु ने कहा, “जाओ और खुद को याजकों को दिखाओ।” जब वे जा रहे थे, तो रास्ते में ही वे शुद्ध हो गए। उनमें से एक ने देखा कि वह ठीक हो गया है और वह ज़ोर-ज़ोर से परमेश्वर का गुणगान करता हुआ वापस आया। वह यीशु के पाँवों पर मुँह के बल गिरा और उसका धन्यवाद करने लगा। और देखो! वह एक सामरी था। उसे देखकर यीशु ने कहा, “क्या दसों के दस शुद्ध नहीं हुए थे? तो फिर बाकी नौ कहाँ हैं? दूसरी जाति के इस आदमी को छोड़, क्या एक भी आदमी परमेश्वर की महिमा करने वापस नहीं आया?” उसने उस आदमी से कहा, “उठ और अपने रास्ते चला जा। तेरे विश्वास ने तुझे ठीक किया है।” » (लूका १७:११-१९)।
यीशु मसीह एक लकवाग्रस्त व्यक्ति को ठीक करता है: « इसके बाद यहूदियों का एक त्योहार आया और यीशु यरूशलेम गया। यरूशलेम में भेड़ फाटक के पास एक कुंड है जो इब्रानी भाषा में बेतहसदा कहलाता है। उस कुंड के चारों तरफ खंभोंवाला बरामदा है। इस बरामदे में बड़ी तादाद में बीमार, अंधे, लँगड़े और अपंग लोग पड़े थे। वहाँ एक आदमी था जो ३८ साल से बीमार था। यीशु ने इस आदमी को वहाँ पड़ा देखा और यह जानकर कि वह एक लंबे समय से बीमार है उससे पूछा, “क्या तू ठीक होना चाहता है?” उस बीमार आदमी ने जवाब दिया, “साहब, मेरे साथ कोई नहीं जो मुझे उस वक्त कुंड में उतारे जब पानी हिलाया जाता है। इससे पहले कि मैं पहुँचूँ कोई दूसरा पानी में उतर जाता है।” यीशु ने उससे कहा, “उठ, अपना बिस्तर उठा और चल-फिर।” वह आदमी उसी वक्त ठीक हो गया और उसने अपना बिस्तर उठाया और चलने-फिरने लगा” (यूहन्ना ५:१-९)।
यीशु मसीह एक मिरगी को चंगा करता है: “जब वे भीड़ की तरफ आए, तो एक आदमी यीशु के पास आया और उसके सामने घुटने टेककर कहने लगा, “प्रभु, मेरे बेटे पर दया कर क्योंकि इसे मिरगी आती है और इसकी हालत बहुत खराब है। यह कभी आग में गिर जाता है, तो कभी पानी में। मैं इसे तेरे चेलों के पास लाया था मगर वे इसे ठीक नहीं कर सके।” तब यीशु ने कहा, “हे अविश्वासी और टेढ़े लोगो, मैं और कब तक तुम्हारे साथ रहूँ? कब तक तुम्हारी सहूँ? उसे यहाँ मेरे पास लाओ।” तब यीशु ने उस लड़के में समाए दुष्ट स्वर्गदूत को फटकारा और वह उसमें से निकल गया। उसी पल लड़का ठीक हो गया। इसके बाद चेले अकेले में यीशु के पास आए और उन्होंने कहा, “हम उस दुष्ट स्वर्गदूत को क्यों नहीं निकाल पाए?” उसने कहा, “अपने विश्वास की कमी की वजह से। मैं तुमसे सच कहता हूँ, अगर तुम्हारे अंदर राई के दाने के बराबर भी विश्वास है, तो तुम इस पहाड़ से कहोगे, ‘यहाँ से हटकर वहाँ चला जा’ और वह चला जाएगा और तुम्हारे लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होगा।”” (मत्ती १७:१४-२०)।
यीशु मसीह यह जाने बिना चमत्कार करता है: « जब यीशु जा रहा था, तो लोगों की भीड़ उसे घेरे हुए साथ-साथ चलने लगी। वहाँ एक औरत थी जिसे 12 साल से खून बहने की बीमारी थी और वह किसी के भी इलाज से ठीक नहीं हो पायी थी। उसने पीछे से आकर यीशु के कपड़े की झालर को छुआ और उसी घड़ी उसका खून बहना बंद हो गया। तब यीशु ने कहा, “किसने मुझे छुआ?” जब सब इनकार करने लगे, तो पतरस ने कहा, “गुरु, भीड़ तुझे दबाए जा रही है और तुझ पर गिरे जा रही है।” फिर भी यीशु ने कहा, “किसी ने मुझे छुआ है, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मेरे अंदर से शक्ति निकली है।” जब उस औरत ने देखा कि यीशु को पता चल गया है, तो वह काँपती हुई आयी और उसके आगे गिर पड़ी और उसने सब लोगों के सामने बता दिया कि उसने क्यों उसे छुआ और वह कैसे फौरन ठीक हो गयी। तब यीशु ने उससे कहा, “बेटी, तेरे विश्वास ने तुझे ठीक किया है। जा, अब और चिंता मत करना।” » (लूका ८:४२-४८)।
यीशु मसीह दूर से चंगा करता है: « जब वह लोगों को वे सारी बातें बता चुका जो वह बताना चाहता था, तो वह कफरनहूम आया। वहाँ एक सेना-अफसर था जिसे अपने एक दास से बहुत प्यार था। वह दास इतना बीमार पड़ गया कि अब मरने पर था। जब सेना-अफसर ने यीशु के बारे में सुना, तो उसने यहूदियों के मुखियाओं को उससे यह बिनती करने भेजा कि आकर मेरे दास को ठीक कर दे। जब वे यीशु के पास पहुँचे, तो उसके आगे गिड़गिड़ाने लगे, “वह सेना-अफसर एक भला आदमी है, मेहरबानी करके उसकी मदद कर। वह हम यहूदियों से प्यार करता है, उसी ने हमारा सभा-घर बनवाया है।” तब यीशु उनके साथ चल दिया। मगर जब वह उसके घर से थोड़ी ही दूर था, तो सेना-अफसर के कुछ दोस्त उसके पास आए, जिनके हाथ उसने यह संदेश भेजा था: “मालिक, और तकलीफ मत उठा क्योंकि मैं इस लायक नहीं कि तू मेरी छत तले आए। इसी वजह से मैंने अपने आपको इस काबिल नहीं समझा कि तेरे पास आऊँ। बस तू अपने मुँह से कह दे और मेरा सेवक ठीक हो जाएगा। क्योंकि मैं भी किसी अधिकारी के नीचे काम करता हूँ और मेरे नीचे भी सिपाही हैं। जब मैं एक से कहता हूँ, ‘जा!’ तो वह जाता है और दूसरे से कहता हूँ, ‘आ!’ तो वह आता है और अपने दास से कहता हूँ, ‘यह कर!’ तो वह करता है।” जब यीशु ने यह सुना तो उसे अफसर पर बहुत ताज्जुब हुआ। उसने मुड़कर अपने पीछे आनेवाली भीड़ से कहा, “मैं तुमसे कहता हूँ, मैंने इसराएल में भी ऐसा ज़बरदस्त विश्वास नहीं पाया।” जो भेजे गए थे उन्होंने घर लौटने पर पाया कि वह दास बिलकुल ठीक हो चुका है » (लूका ७:१-१०)।
यीशु मसीह ने एक विकलांग महिला को १८ वर्षों से चंगा किया है: « सब्त के दिन यीशु एक सभा-घर में सिखा रहा था। वहाँ एक औरत थी जिसमें 18 साल से एक दुष्ट स्वर्गदूत समाया था, जिसने उसे बहुत कमज़ोर कर दिया था। वह कुबड़ी हो गयी थी और बिलकुल सीधी नहीं हो पाती थी। जब यीशु ने उस औरत को देखा, तो उससे कहा, “जा, तुझे अपनी कमज़ोरी से छुटकारा दिया जा रहा है।” यीशु ने अपने हाथ उस औरत पर रखे और वह फौरन सीधी हो गयी और परमेश्वर की महिमा करने लगी। मगर जब सभा-घर के अधिकारी ने देखा कि यीशु ने सब्त के दिन चंगा किया है, तो वह भड़क उठा और लोगों से कहा, “छ: दिन होते हैं जिनमें काम किया जाना चाहिए। इसलिए उन्हीं दिनों में आकर चंगे हो, सब्त के दिन नहीं।” लेकिन प्रभु ने उससे कहा, “अरे कपटियो, क्या तुममें से हर कोई सब्त के दिन अपने बैल या गधे को थान से खोलकर पानी पिलाने नहीं ले जाता? तो क्या यह औरत, जो अब्राहम की बेटी है और जिसे शैतान ने 18 साल तक अपने कब्ज़े में कर रखा था, इसे सब्त के दिन उसकी कैद से आज़ाद करना सही नहीं था?” जब यीशु ने ये बातें कहीं, तो उसके सभी विरोधी शर्मिंदा हो गए। मगर भीड़ उसके सभी शानदार कामों को देखकर खुशियाँ मनाने लगी » (लूका १३:१०-१७)।
यीशु मसीह एक फोनीशियन महिला की बेटी को चंगा करता है: « अब यीशु वहाँ से निकलकर सोर और सीदोन के इलाके में चला गया। और देखो! उस इलाके की एक औरत जो फीनीके की रहनेवाली थी उसके पास आयी और चिल्लाकर कहने लगी, “हे प्रभु, दाविद के वंशज, मुझ पर दया कर। मेरी बेटी को एक दुष्ट स्वर्गदूत ने बुरी तरह काबू में कर लिया है।” मगर यीशु ने उससे एक शब्द भी न कहा। इसलिए उसके चेले आए और बार-बार कहने लगे, “इसे भेज दे क्योंकि यह चिल्लाती हुई हमारे पीछे-पीछे आ रही है।” तब उसने कहा, “मुझे इसराएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों को छोड़ किसी और के पास नहीं भेजा गया।” मगर वह औरत यीशु के पास आयी और उसे झुककर प्रणाम करके कहने लगी, “हे प्रभु, मेरी मदद कर!” उसने कहा, “बच्चों की रोटी लेकर पिल्लों के आगे फेंकना सही नहीं है।” तब औरत ने कहा, “सही कहा प्रभु, मगर फिर भी पिल्ले अपने मालिकों की मेज़ से गिरे टुकड़े तो खाते ही हैं।” यह सुनकर यीशु ने उससे कहा, “तेरा विश्वास बहुत बड़ा है। जैसा तू चाहती है, तेरे लिए वैसा ही हो।” और उसी घड़ी उसकी बेटी ठीक हो गयी » (मत्ती १५:२१-२८)।
यीशु मसीह एक तूफान को रोकता है: « जब यीशु एक नाव पर चढ़ गया, तो चेले भी उसके साथ हो लिए। तब अचानक झील में ऐसी ज़ोरदार आँधी उठी कि लहरें नाव को ढकने लगीं मगर वह सो रहा था। चेले उसके पास आए और यह कहकर उसे जगाने लगे, “प्रभु, हमें बचा, हम नाश होनेवाले हैं!” मगर यीशु ने उनसे कहा, “अरे, कम विश्वास रखनेवालो, तुम क्यों इतना डर रहे हो?” फिर उसने उठकर आँधी और लहरों को डाँटा और बड़ा सन्नाटा छा गया। यह देखकर चेले हैरत में पड़ गए और कहने लगे, “आखिर यह आदमी कौन है कि आँधी और समुंदर तक इसका हुक्म मानते हैं?”” (मत्ती ८:२३-२७)। यह चमत्कार दर्शाता है कि सांसारिक स्वर्ग में अब तूफान या बाढ़ नहीं होंगे जो आपदाओं का कारण बनेंगे।
यीशु मसीह समुद्र पर चलते हुए: « भीड़ को भेजने के बाद वह प्रार्थना करने के लिए पहाड़ पर चला गया। शाम हो गयी और वह वहाँ अकेला ही था। अब तक चेलों की नाव किनारे से कुछ किलोमीटर दूर जा चुकी थी। नाव लहरों के थपेड़े खा रही थी क्योंकि हवा का रुख उनके खिलाफ था। मगर रात के चौथे पहर* यीशु पानी पर चलता हुआ उनके पास आया। जैसे ही चेलों ने देखा कि वह पानी पर चल रहा है, वे घबराकर कहने लगे, “यह ज़रूर हमारा वहम है!” और वे डर के मारे ज़ोर से चिल्लाने लगे। मगर तभी यीशु ने उनसे कहा, “हिम्मत रखो, मैं ही हूँ। डरो मत।” तब पतरस ने कहा, “प्रभु अगर यह तू है, तो मुझे आज्ञा दे कि मैं पानी पर चलकर तेरे पास आऊँ।” यीशु ने कहा, “आ!” तब पतरस नाव से उतरा और पानी पर चलता हुआ यीशु की तरफ जाने लगा। मगर तूफान को देखकर वह डर गया और डूबने लगा। तब वह चिल्ला उठा, “हे प्रभु, मुझे बचा!” यीशु ने फौरन अपना हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया और उससे कहा, “अरे कम विश्वास रखनेवाले, तूने शक क्यों किया?” जब वे दोनों नाव पर चढ़ गए, तो तूफान थम गया। तब जो नाव में थे उन्होंने उसे झुककर प्रणाम* किया और कहा, “तू वाकई परमेश्वर का बेटा है।” » (मत्ती १४:२३-३३)।
चमत्कारी मत्स्य पालन: « एक बार यीशु गन्नेसरत झील के किनारे खड़ा एक बड़ी भीड़ को परमेश्वर का वचन सिखा रहा था। लोग उस पर गिरे जा रहे थे। तब उसने झील के किनारे लगी दो नाव देखीं, जिनमें से मछुवारे उतरकर अपने जाल धो रहे थे। तब वह उनमें से एक नाव पर चढ़ गया जो शमौन की थी। उसने शमौन से कहा कि नाव को खेकर किनारे से थोड़ी दूर ले जाए। फिर यीशु नाव में बैठकर भीड़ को सिखाने लगा। जब उसने बोलना खत्म किया, तो शमौन से कहा, “नाव को खेकर गहरे पानी में ले चल, वहाँ अपने जाल डालना।” मगर शमौन ने कहा, “गुरु, हमने सारी रात मेहनत की, मगर हमारे हाथ कुछ नहीं लगा। फिर भी तेरे कहने पर मैं जाल डालूँगा।” जब उन्होंने ऐसा किया, तो ढेर सारी मछलियाँ उनके जाल में आ फँसीं। यहाँ तक कि उनके जाल फटने लगे। तब उन्होंने दूसरी नाव में सवार अपने साथियों को इशारा किया कि उनकी मदद के लिए आएँ। और वे आए और आकर दोनों नाव में मछलियाँ भरने लगे। दोनों नाव मछलियों से इतनी भर गयीं कि डूबने लगीं। यह देखकर शमौन पतरस यीशु के पैरों पर गिर पड़ा और कहने लगा, “मेरे पास से चला जा प्रभु, क्योंकि मैं एक पापी इंसान हूँ।” इतनी तादाद में मछलियाँ पकड़ने की वजह से वह और उसके सब साथी हक्के-बक्के रह गए थे। याकूब और यूहन्ना का भी यही हाल था, जो जब्दी के बेटे थे और शमौन के साझेदार थे। मगर यीशु ने शमौन से कहा, “मत डर। अब से तू जीते-जागते इंसानों को पकड़ा करेगा।” तब वे अपनी-अपनी नाव किनारे पर ले आए और सबकुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए » (लूका ५:१-११)।
यीशु रोटियों को गुणा करता है: « इसके बाद, यीशु गलील झील यानी तिबिरियास झील के उस पार चला गया। मगर एक बड़ी भीड़ उसके पीछे-पीछे गयी, क्योंकि उन्होंने देखा था कि वह कैसे चमत्कार करके बीमारों को ठीक कर रहा था। फिर यीशु अपने चेलों के साथ एक पहाड़ पर चढ़ा और वहाँ बैठ गया। यहूदियों का फसह का त्योहार पास था। जब यीशु ने नज़र उठाकर देखा कि एक बड़ी भीड़ उसकी तरफ चली आ रही है, तो उसने फिलिप्पुस से कहा, “हम इनके खाने के लिए रोटियाँ कहाँ से खरीदें?” मगर वह उसे परखने के लिए यह बात कह रहा था क्योंकि वह जानता था कि वह खुद क्या करने जा रहा है। फिलिप्पुस ने उसे जवाब दिया, “दो सौ दीनार की रोटियाँ भी इन सबके लिए पूरी नहीं पड़ेंगी कि हरेक को थोड़ा-थोड़ा भी मिल सके।” 8 तब यीशु के एक चेले, अन्द्रियास ने जो शमौन पतरस का भाई था, उससे कहा, “यहाँ एक लड़का है, जिसके पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो छोटी मछलियाँ हैं। मगर इतनी बड़ी भीड़ के लिए इससे क्या होगा?” यीशु ने कहा, “लोगों को खाने के लिए बिठा दो।” उस जगह बहुत घास थी, इसलिए लोग वहाँ आराम से बैठ गए। इनमें आदमियों की गिनती करीब 5,000 थी। तब यीशु ने वे रोटियाँ लीं और प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद लोगों में बाँट दीं। फिर उसने छोटी मछलियाँ भी बाँट दीं, जिसे जितनी चाहिए थी उतनी दे दी। जब उन्होंने भरपेट खा लिया, तो उसने चेलों से कहा, “बचे हुए टुकड़े इकट्ठा कर लो ताकि कुछ भी बेकार न हो।” इसलिए जौ की पाँच रोटियों में से जब सब लोग खा चुके, तो बचे हुए टुकड़े इकट्ठे किए गए जिनसे 12 टोकरियाँ भर गयीं। जब लोगों ने उसका चमत्कार देखा तो वे कहने लगे, “यह ज़रूर वही भविष्यवक्ता है जिसे दुनिया में आना था।” फिर यीशु जान गया कि वे उसे पकड़कर राजा बनाने आ रहे हैं, इसलिए वह अकेले पहाड़ पर चला गया » (यूहन्ना ६:१-१५)। सारी पृथ्वी पर बहुतायत में भोजन होगा (भजन ७२:१६; यशायाह ३०:२३)।
जीसस क्राइस्ट ने एक विधवा के बेटे को पुनर्जीवित किया: « कुछ ही समय बाद वह नाईन नाम के एक शहर गया। उसके चेले और एक बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी। जब वह शहर के फाटक के पास पहुँचा, तो देखो! लोग एक मुरदे को ले जा रहे थे जो अपनी माँ का अकेला बेटा था।और-तो-और, वह विधवा थी। उस शहर से बड़ी तादाद में लोग उस औरत के साथ जा रहे थे। जब प्रभु की नज़र उस औरत पर पड़ी, तो वह तड़प उठा और उसने कहा, “मत रो।”तब उसने पास आकर अर्थी को छुआ और अर्थी उठानेवाले रुक गए। फिर उसने कहा, “हे जवान, मैं तुझसे कहता हूँ उठ!” तब वह जवान जो मर गया था, उठ बैठा और बात करने लगा और यीशु ने उसे उसकी माँ को सौंप दिया। यह देखकर सब लोगों पर डर छा गया और वे यह कहते हुए परमेश्वर की महिमा करने लगे, “हमारे बीच एक महान भविष्यवक्ता आया है” और “परमेश्वर ने अपने लोगों की तरफ ध्यान दिया है।” उसके बारे में यह खबर पूरे यहूदिया और आस-पास के सब इलाकों में फैल गयी” (लूका ७:११-१७)।
यीशु मसीह जयरस की बेटी को पुनर्जीवित करता है: « जब वह बोल ही रहा था, तो सभा-घर के अधिकारी के घर से एक आदमी आया और कहने लगा, “तेरी बेटी मर चुकी है। अब गुरु को और परेशान मत कर।” यह सुनकर यीशु ने उस अधिकारी से कहा, “डर मत, बस विश्वास रख और वह बच जाएगी।” जब यीशु उस घर में पहुँचा तो उसने पतरस, यूहन्ना, याकूब और लड़की के माता-पिता के सिवा किसी और को अपने साथ अंदर नहीं आने दिया। लेकिन सब लोग रो रहे थे और छाती पीटते हुए उस लड़की के लिए मातम मना रहे थे। यीशु ने कहा, “मत रोओ! लड़की मरी नहीं बल्कि सो रही है।” यह सुनकर वे उसकी खिल्ली उड़ाने लगे क्योंकि वे जानते थे कि वह मर चुकी है। फिर यीशु ने बच्ची का हाथ पकड़कर कहा, “बच्ची, उठ!” तब उस लड़की में जान आ गयी और वह फौरन उठ बैठी। यीशु ने कहा कि लड़की को खाने के लिए कुछ दिया जाए। लड़की को ज़िंदा देखकर उसके माता-पिता खुशी के मारे अपने आपे में न रहे। मगर यीशु ने उनसे कहा कि जो हुआ है, वह किसी को न बताएँ » (ल्यूक ८:४९-५६)।
यीशु मसीह ने अपने दोस्त लाजर को फिर से जीवित कर दिया, जो चार दिन पहले मर गया था: « यीशु अब तक गाँव के अंदर नहीं आया था। वह अब भी वहीं था जहाँ मारथा उससे मिली थी। जब उन यहूदियों ने, जो घर में मरियम को दिलासा दे रहे थे, देखा कि वह उठकर जल्दी से बाहर निकल गयी है, तो वे भी उसके पीछे-पीछे गए क्योंकि उन्हें लगा कि वह कब्र पर रोने जा रही है। जब मरियम उस जगह आयी जहाँ यीशु था और उसकी नज़र यीशु पर पड़ी, तो वह यह कहते हुए उसके पैरों पर गिर पड़ी, “प्रभु, अगर तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” 33 जब यीशु ने उसे और उसके साथ आए यहूदियों को रोते देखा, तो उसने गहरी आह भरी और उसका दिल भर आया। उसने कहा, “तुमने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने कहा, “प्रभु, आ और आकर देख ले।” यीशु के आँसू बहने लगे। यह देखकर यहूदियों ने कहा, “देखो, यह उससे कितना प्यार करता था!” मगर कुछ ने कहा, “जब इस आदमी ने अंधे की आँखें खोल दीं, तो इसकी जान क्यों नहीं बचा सका?”
यीशु ने फिर से गहरी आह भरी और कब्र के पास आया। यह असल में एक गुफा थी और इसके मुँह पर एक पत्थर रखा हुआ था। यीशु ने कहा, “पत्थर को हटाओ।” तब मारथा ने जो मरे हुए आदमी की बहन थी, उससे कहा, “प्रभु अब तक तो उसमें से बदबू आती होगी, उसे मरे चार दिन हो चुके हैं।” यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझसे नहीं कहा था कि अगर तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा देखेगी?” तब उन्होंने पत्थर हटा दिया। फिर यीशु ने आँखें उठाकर स्वर्ग की तरफ देखा और कहा, “पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुनी है। मैं जानता था कि तू हमेशा मेरी सुनता है। लेकिन यहाँ खड़ी भीड़ की वजह से मैंने ऐसा कहा ताकि ये यकीन कर सकें कि तूने ही मुझे भेजा है।” जब वह ये बातें कह चुका, तो उसने ज़ोर से पुकारा, “लाज़र, बाहर आ जा!” तब वह जो मर चुका था बाहर निकल आया। उसके हाथ-पैर कफन की पट्टियों में लिपटे हुए थे और उसका चेहरा कपड़े से लिपटा हुआ था। यीशु ने उनसे कहा, “इसे खोल दो और जाने दो।” » (जॉन ११:३०-४४)।
अंतिम चमत्कारी मत्स्य पालन (मसीह के पुनरुत्थान के तुरंत बाद): « जब सुबह होने लगी तब यीशु किनारे पर आकर खड़ा हो गया। मगर चेलों ने नहीं पहचाना कि वह यीशु है। तब यीशु ने उनसे पूछा, “बच्चो, क्या तुम्हारे पास खाने के लिए कुछ है?” उन्होंने कहा, “नहीं!” उसने उनसे कहा, “नाव के दायीं तरफ जाल डालो और तुम्हें कुछ मछलियाँ मिलेंगी।” तब उन्होंने जाल डाला और उसमें ढेर सारी मछलियाँ आ फँसीं और वे जाल को खींच न पाए। तब उस चेले ने, जिसे यीशु प्यार करता था पतरस से कहा, “यह तो प्रभु है!” जब शमौन पतरस ने सुना कि यह प्रभु है तो उसने कपड़े पहने क्योंकि वह नंगे बदन था और झील में कूद पड़ा। मगर दूसरे चेले छोटी नाव में मछलियों से भरा जाल खींचते हुए आए क्योंकि वे किनारे से ज़्यादा दूर नहीं थे, करीब 300 फुट की दूरी पर ही थे » (यूहन्ना २१:४-८)।
ईसा मसीह ने कई अन्य चमत्कार किए। वे हमारे विश्वास को मजबूत करते हैं, हमें प्रोत्साहित करते हैं और कई आशीर्वादों की झलक देते हैं जो पृथ्वी पर होंगे: « दरअसल ऐसे और भी बहुत-से काम हैं जो यीशु ने किए थे। अगर उन सारे कामों के बारे में एक-एक बात लिखी जाती, तो मैं समझता हूँ कि जो खर्रे लिखे जाते वे पूरी दुनिया में भी नहीं समाते » (जॉन २१:२५)।
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सत्तर से ज़्यादा भाषाओं की एक सारांश तालिका, जिसमें प्रत्येक भाषा में लिखे गए छह महत्वपूर्ण बाइबल लेख हैं।
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